गर्भाशय में गॉठ महिलाओ में बढ रही है।समस्या । balram, February 25, 2024April 19, 2024 महिलाओं मे लगातार गर्भाशय में गांठ की समस्या बढ़ती जा रही है।यह समस्या खान पान की गलत आदत के कारण व साफ सफाई का ध्यान न रखने के कारण होती है। फायब्रॉइड क्यों होते हैं (बच्चेदानी में गांठ कैसे बनती है), इसकी वजह अब तक पता नहीं चल सकी है। आमतौर पर ये आनुवंशिक होते हैं। माना जाता है कि हर पांच में से एक स्त्री के यूट्रस में गांठ के लक्षण दिखते हैं। ओवरवेट या ओबेसिटी से ग्रस्त स्त्रियां भी इनकी चपेट में अधिक आती हैं। हॉर्मोनल बदलावों के कारण भी ये हो सकते हैं। इनका खतरा फायब्रॉइड्स के आकार व स्थिति पर निर्भर करता है। फाइब्रॉइड..जिसे आम भाषा में bachedani me ganth या गर्भाशय में रसौली भी कहते हैं। ये ऐसी गांठें होती हैं जो कि महिलाओं के गर्भाशय में या उसके आसपास उभरती हैं। ये मांस-पेशियां और फाइब्रस उत्तकों से बनती हैं और इनका आकार कुछ भी हो सकता है। इसके कारण बांझपन का खतरा होने की आशंका रहती है। बच्चेदानी में गांठ (यूट्रस में गांठ) होने के कारण- बच्चेदानी में गांठ होने के कारण कुछ इस प्रकार हैं- गर्भाशय में रसौली अर्थात् गर्भाशय फाइब्रॉइड की समस्या, आनुवांशिक भी हो सकती है। अगर परिवार में किसी महिला को ये बीमारी है तो ये पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ सकती है। या फिर ये हार्मोन के स्त्राव में आए उतार-चढ़ाव की वजह से भी हो सकता है। बढ़ती उम्र, प्रेग्नेंसी, मोटापा भी इसका एक कारण हो सकते हैं। फाइब्रॉइड बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि 99 फीसदी ये बीमारी बिना कैंसर वाली होती है। बच्चेदानी में गांठ (यूट्रस में गांठ) के लक्षण- बच्चेदानी में गांठ के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं- माहवारी के समय या बीच में ज्यादा रक्तस्राव, जिसमे थक्के शामिल हैं। नाभि के नीचे पेट में दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द। बार-बार पेशाब आना। मासिक धर्म के समय दर्द की लहर चलना। यौन सम्बन्ध बनाते समय दर्द होना। मासिक धर्म का सामान्य से अधिक दिनों तक चलना। नाभि के नीचे पेट में दबाव या भारीपन महसूस होना। प्राइवेट पार्ट से खून आना। कमजोरी महसूस होना। पेट में सूजन। एनीमिया। कब्ज। पैरों में दर्द। अगर गर्भाशय फाइब्रॉइड का आकार बड़ा हो चुका है तो डॉक्टर्स इसका इलाज या तो दवाइयां दे कर करते हैं या फिर दूरबीन वाली (Hysteroscopy/Laparoscopy) सर्जरी द्वारा। बच्चेदानी में गांठ आवश्यक खून की जॉच कराए ultrsound whole abdomen CBC CRP CEA CA125 FSH Blood TEST के लिए सम्पर्क करें। +91 9955550855 https://moleque.ai/ बच्चेदानी में गांठ (खान-पान व दिनचार्य)- गांठ के आकार या लक्षणों के आधार पर आपके डॉक्टर पीरिऑडिक पेल्विक जाँच और अल्ट्रासाउंड करवाने को कह सकते हैं। कुछ महिलाओं में तो कभी भी कोई लक्षण नहीं दिखते हैं और न ही गांठों से जुड़ी कोई समस्या होती है, इस तरह के मामले में किसी इलाज की आवश्यकता नहीं है। कुछ प्राकृतिक उपचार भी बच्चेदानी की गांठों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जिनमें शामिल हैं – एक्यूपंक्चर थेरेपी योग मसाज थेरपी Gui Zhi Fu Ling Tang (जीएफएलटी), एक पारंपरिक चीनी दवा का फॉर्मूला ऐंठन के लिए गर्म सेक का उपयोग करना (अगर आप अत्यधिक रक्तस्राव का अनुभव करती है तो गर्म सेक न करें)बब आहार में परिवर्तन करने से भी मदद मिल सकती हैं। जैसे कि मीट और उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों को कम खाएं। इसकी बजाय, अधिक फ्लैवोनोइड वाले भोजन, हरी सब्जियां, ग्रीन टी और ठंडे पानी में पायी जाने वाली मछली जैसे टूना या साल्मन का चयन करें। एक अध्ययन में पाया गया कि ताजा फल और क्रुसिफेरस सब्जियां जैसे ऑरुगुला, ब्रोकोली, पत्ता गोभी, फूलगोभी, कोलार्ड ग्रीन और टरनिप ग्रीन खाने से आपकी परेशानी कम हो सकती हैं। क्रूसिफेरस सब्जियां बीटा कैरोटीन, विटामिन बी 9, विटामिन सी, विटामिन ई तथा विटामिन K और अन्य खनिजों में समृद्ध होती हैं। उनमें फाइबर भी भरपूर होता है। नियमित व्यायाम भी बच्चेदानी की गांठों की आशंका को कम कर सकता है। यदि आपका वजन अधिक हैं तो वजन कम करें और अपने तनाव के स्तर को कम करें, इससे भी आपको लाभ पहुंचा सकता है। बच्चेदानी में गांठ वाली किसी महिला में अगर इसके कोई लक्षण नहीं पैदा हो रहे हैं तो ऐसे मामलों में सबसे अच्छी थेरपी यह होती है कि इनकी वृद्धि की सतर्क निगरानी रखते हुए इंतजार किया जाए। गांठ के आकार या लक्षणों के आधार पर आपके डॉक्टर पीरिऑडिक पेल्विक जाँच और अल्ट्रासाउंड करवाने को कह सकते हैं। कुछ महिलाओं में तो कभी भी कोई लक्षण नहीं दिखते हैं और न ही गांठों से जुड़ी कोई समस्या होती है, इस तरह के मामले में किसी इलाज की आवश्यकता नहीं है। बच्चेदानी में गांठ का इलाज करने के लिए कई विकल्प हैं जिनमें सर्जरी के कई विकल्प उपलब्ध है जैसे कि – हिस्टेरेक्टॉमी, मायोमेक्टोमी, क्रायोसर्जरी, एमआरआई की मदद से हाई इंटेंसिटी फोकस्ड अल्ट्रासाउंड (एमआरजीएफयूएस) और यूट्राइन आर्टरी एम्बोलाइज़ेशन (यूएई) इत्यादि। आपके डॉक्टर आपकी उम्र, गांठों के आकार और आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के आधार पर एक उपचार योजना विकसित करते हैं। आपके इलाज के लिए आपकी डॉक्टर अलग-अलग उपचार का संयोजन प्रयोग कर सकती हैं। बच्चेदानी में गांठ का इलाज – Uterus (Bachedani) वर्तमान में अधिकांश डॉक्टरों को यह एहसास होने लगा है कि बच्चेदानी में बनने वाली गांठों को हमेशा ही किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है या अधिकतर केवल सीमित उपचार की जरुरत होती है। बच्चेदानी में गांठ का सम चिकित्सक उपचार Apis Mellifica 30 Asanic alb 30 Belladona 30 Calcareacarbonica 30 Graphite 30 Lachisis 30 pulstila 30 Thuja 30 दवाई की डोज गांठ के आकार पर निर्भर करती है।लक्षण के आधार पर दवाई का क्रम व दवाई बदली जा सकती है।योग्य चिकित्सक से परामर्श लें। contact Dr.Balram Singh +917827458220 Uncategorized Dr.BalramMolequeUltrasoundगर्भाशयगांठमहिला