कैंसर उन्मूलन कार्यक्रम वर्ष,2024-2025 balram, March 23, 2024 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक़, सर्विकल कैंसर की वजह से होने वाली लगभग नब्बे फ़ीसद मौतें कम या मध्यम आयवर्ग वाले देशों में होती हैं. इन देशों में सर्विकल कैंसर की तब तक पहचान नहीं होती, जब तक यह एडवांस्ड स्टेज में नहीं पहुंच जाता या उसके लक्षण सामने नहीं आते. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले कहा था कि वह साल 2030 तक नब्बे फ़ीसदी लोगों को एचपीवी वैक्सीन लगाकर अगली सदी के अंदर इसके संक्रमण से निजात पाने की दिशा में काम कर रहा है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़, क़रीब 140 देशों ने एचपीवी वैक्सीन देने की शुरुआत कर दी है. भारत में एक लाख महिलाओं में से 20 महिलाओं में इस कैंसर के मामले सामने आते हैं. , ”इस कैंसर का कारण वायरस होता है जिसे ह्यूमन पेपिलोमा वायरस कहते हैं जो यौन संबंधों के कारण शरीर में प्रवेश करता है. और अगर बार-बार कोई इस वायरस से संक्रमित होता है तो बाद में जाकर ये सर्वाइकल कैंसर का रूप ले लेता है.” विश्व स्वास्थ्य संगठन या डब्लयूएचओ के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के 95 फ़ीसद से ज्यादा मामलों का कारण ह्यूमन पेपिलोमा वायरस या एचपीवी होता है. डब्लयूएचओ के मुताबिक एक महिला के शरीर में अगर सामान्य प्रतिरोधक क्षमता है उसमें सर्वाइकल कैंसर को विकसित होने में 15 से 20 साल लगते हैं. और अगर किसी महिला की प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है जैसे किसी एचआईवी संक्रमित महिला का इलाज नहीं हुआ है तो इस कैंसर को ऐसी महिला में विकसित होने में पांच से दस साल का समय लगता है. वहीं टीबी जैसी बीमारी से कोई महिला पीड़ित है, तो उसे भी ये कम समय में हो सकता है. भारत में महिलाओं में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं. डब्लयूएचओ के मुताबिक एक महिला के शरीर में अगर सामान्य प्रतिरोधक क्षमता है उसमें सर्वाइकल कैंसर को विकसित होने में 15 से 20 साल लगते हैं. और अगर किसी महिला की प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है जैसे किसी एचआईवी संक्रमित महिला का इलाज नहीं हुआ है तो इस कैंसर को ऐसी महिला में विकसित होने में पांच से दस साल का समय लगता है. वहीं टीबी जैसी बीमारी से कोई महिला पीड़ित है, तो उसे भी ये कम समय में हो सकता है. भारत में महिलाओं में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं. पुरुषों को भी हो सकता है वहीं डॉ. सरिता श्यामसुंदर के अनुसार उनके विभाग की हर ओपीडी में रोज़ दो या तीन ऐसे मरीज़ आते हैं जिनमें वो महिलाएं होती हैं जिन्हें एडवांस स्टेज का कैंसर होता है. वो बताती हैं कि ये महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित होती हैं और ये सामान्य इन्फेक्शन समझ कर उनकी दवाएं लेती हैं और जांच नहीं करवाती हैं. डॉक्टर ये भी कहती हैं कि महिलाएं ये सोचने लगती हैं कि उन्हें मेनोपॉज़ हो गया है तो अब सर्वाइकल कैंसर नहीं हो सकता है ये ग़लत धारणा है. साथ ही डॉक्टरों का कहना है क्योंकि ये एचपीवी वाइरस से होने वाला कैंसर है इसलिए पुरुषों में भी पीनाइल कैंसर, ओरल कैंसर या जननांग में मस्से होना इसके संकेत हो सकते हैं. महिलाओं में ये ओरल कैंसर या वजाइनल कैंसर की शक्ल में भी हो सकता है और उन्हें भी जननांग में मस्से आ सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन या डब्लयूएचओ के अनुसार सर्वाइकल कैंसर विश्व में महिलाओं में होने वाला चौथा आम कैंसर है और आकलन के मुताबिक साल 2020 में इस कैंसर के 6,04,000 नए मामले सामने आए थे और इससे 3,42,000 महिलाओं की मौत हुई थी. संस्था के मुताबिक 90 फ़ीसद नए मामले और मौत मध्यमवर्गीय आमदनी वाले देशों में दर्ज की गई. डब्लयूएचओ के अनुसार जिस महिला को एचआईवी नहीं है, उसकी तुलना में एचआईवी से पीड़ित महिला को सर्वाइकल कैंसर होने की आशंका छह गुना बढ़ जाती है . शुरू हो जाती है तो ऐसे में उन्हें इस एक्टिवीटी के दो साल बाद ये जांच करवाना शुरू कर देना चाहिए चाहे वो शादीशुदा हो या न हो. एक मेडिकल वेबसाइट बॉयो मेड सेंट्रल या बीएमसी के अनुसार अनुसार कई देशों कनाडा, यूके, आयरलैंड, इटली और फ्रांस कुछ ऐसे देश हैं जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं हर तीन साल में 25-65 उम्र की सेक्शुएली एक्टिव महिलाओं में पेपस्मीयर टेस्ट की सिफारिश करते हैं. इस वेबसाइट पर मेडिकल, विज्ञान या तकनीक के क्षेत्र में हुए शोध प्रकाशित किए जाते हैं. डॉक्टर मानते हैं कि अगर अर्ली स्टेज या शुरुआती चरण में ही कैंसर का पता चल जाता है तो कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है और इसमें 95 से 97 प्रतिशत सर्वाइवल रेट यानी जीवित रह सकने की दर होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन जहां सर्वाइकल कैंसर को ख़त्म करने और जागरूकता लाने की दिशा में काम कर रहा है. वहीं डॉक्टर सरिता भी मानती हैं कि लोगों में सर्कवाइल कैंसर के प्रति जागरूकता आ रही है. और प्राथमिक केंद्रों में भी इसकी जाँच शुरू हो गई है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर जांच समय पर होती रहे और लड़कियों का टीकाकरण समय से हो तो इस कैंसर से शत प्रतिशत बचा जा सकता है. एम.डी. डॉक्टर नेहा द्विवेदी का कहना है। दिल्ली एन सी आर में सर्विकल कैंसर के केस पिछले 2 वर्षो में पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ रहे है। पुरुषो में एच पी वी के ज्यादा केस सामने आये हैं। वैक्सीनेशन इस खतरनाक बिमारी से बचाव में अहम भूमिका निभाती है। डॉ.बलराम सिंह 7827458220 Uncategorized