अपूर्ण-मैथुन (Conjugal Onanism) balram, April 7, 2024 सम्भोग क्रिया में वीर्य स्खलित होने से पूर्व ही जननेन्द्रिय को हटा के कण्डोम आदि चढ़ा कर मैथुन करने को अपूर्ण मैथुन कहा जाता है।गर्भस्थति से बचने के लिए यह क्रियाएं की जाती हैं। रति- क्रिया यदि स्वाभाविक रूप से सम्पन्न होती है। तो स्त्री-पुरुष दोनों का ही मन प्रफुल्लि होता है।परन्तु अपूर्ण मैथुन में दोनों ही असन्तुष्ट रहते हैं । इतना ही नहीं, कभी-कभी इसके कुपरिणाम स्त्री-जननेन्द्रिय में आक्षेपिक-सङ्कोचन तथा पुरुष-जननेन्द्रिय मे शिथिलता आदि के रूप में भी प्रकट होते हैं। विभिन्न प्रकार के स्नायविक रोग, सन्तानोत्पादन-शक्ति का विलुप्त हो जाना, बार-बार मूत्र-त्याग की इच्छा, विषाद, कब्ज, जननेन्द्रिय, अण्डकोष तथा रेतोरज्नु में दर्द, छाती में धड़कन एवं दमा आदि रोग भी इसके फलस्वरूप प्रकट हो सकते हैं। मन की प्रसन्नता एवं स्वास्थ्य भी नष्ट हो जाते हैं । इसके लिए आवश्यक blood Test कराए cbc Testosterone spurm culture spurm R/m https://moleque.ai Contact number 9955550855 चिकित्सा अपूर्ण-मैथुन के फलस्वरूप उत्पन्न हुए विकारों में निम्नलिखित उपचार उचित है: फास्फोरस 3, 30-इस औषध का सेवन करें । इसके अतिरिक्त जलवायु का परिवर्तन, उपयुक्त आहार तथा कम से कम एक सप्ताह के अन्तर से भली-भाँति स्वाभाविक ढङ्ग से रति-क्रिया उत्पन्न करना उचित है । लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों के प्रयोग की भी कभी-कभी आवश्यकता पड़ सकती है :- सैलिक्स नाइग्रा, स्टैफिसेग्रिया, नक्स-वोमिका, लैकेसिस, रैनान, ब्यूफो तथा सल्फर आदि । चिकित्सकीय सलाह के लिए सम्पर्क करें। 9955550855,7827458220 Dr.Balram Singh Uncategorized ConjugalOnanismTestosteroneटेस्टोस्टेरॉन